आज इस पोस्ट में हम जैन धर्म से जुड़े शब्द ‘समवशरण’ का हिंदी में मतलब ( Samosaran in hindi ) बताने जा रहे है इस शब्द का मतलब जैन धर्म से जुड़े तीर्थंकर से होता है समवशरण शब्द हर मनुष्य के जीवन से जुड़ा हुआ है |

अगर आप भी ‘समवशरण’ का मतलब क्या होता है ये जानना चाहते है तो इस पोस्ट के साथ अंत तक जुड़े रहे ताकि आपको इस शब्द का मतलब आसानी से पता चल सके |
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सरल शब्दों में समवशरण का अर्थ – Samosaran in Hindi
समवशरण शब्द का सरल शब्दों में अर्थ ( Samosaran in Hindi ) होता है – “सभी को सामान अवसर“ | समोसरण या समवशरण शब्द दो शब्दों के मेल से बना हुआ है जिसमे “ सम “ का मतलब सामान और “ शरण “ का मतलब अवसर अर्थात् सभी को सामान अवसर मिले | तीर्थंकरों के धर्मोपदेश देने की सभा का नाम समवशरण है |
इस शब्द का प्रयोग तीर्थंकर के दिव्य उपदेश भवन के लिए किया जाता है तीर्थंकर भगवान की सभा को धर्मसभा के नाम से जाना जाता है इस सभा का आयोजन तब किया जाता है जब तीर्थंकर को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है तो उस समय धर्मसभा का आयोजन किया जाता है |
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Samosaran की रचना
भगवान को तपस्या के बाद जब ज्ञान की प्राप्ति होती है तो समवशरण की रचना होती है भगवान इंद्र की आज्ञा के अनुसार धनकुबेर समवशरण की रचना करते है धरती से 20000 हाथ ऊपर खुले आसमान में समवशरण की रचना होती है धरती से लेकर समवशरण तक एक–एक हाथ की 20000 सीढिया होती है जिन्हें हर मनुष्य एक निश्चित समय में चढ़कर समवशरण तक पहुचते है और फिर भगवान की दिव्य धव्नि का पान करते है समवशरण की आकृति गोलाकार होती है |
समवशरण में 8 प्रकार की भूमिया होती है जो इस प्रकार है –
- चैत्य प्रसाद भूमि
- खातिका भूमि
- लता भूमि
- उपवन भूमि
- ध्वजा भूमि
- कल्पव्रक्ष भूमि
- भवन भूमि
- श्रीमंड़प भूमि
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Samosaran के भवन
जहाँ भगवान तीर्थंकर बैठते है उनके चारो और 12 तरह के भवन होते है जिनमे उनके प्रमुख गंधार विराजते है जो इस प्रकार है –
- पहले में मुनिजन
- दुसरे भवन में एक सामान देवियाँ
- तीसरे भवन में आर्यिका
- अगले तीन भवनों में 3 तरह की देवियाँ
- अगले 4 भवनों में 4 जातियों के देवता ( जो स्वर्गो में निवास करते है )
- 11 वें भवन में पुरुष
- 12 वें में पशु
Samosaran का असर
समवशरण में भगवान तीर्थंकर पूर्व दिशा की और मुह करके बैठते है लेकिन उनको देखकर ऐसा लगता की मानो वो सभी दिशाओ में देख रहे है भगवान तीर्थंकर बहुत ही सरल तरीके से जैन दर्शन का उपदेश देते है और सभी जीव–जंतु इस उपदेश को सुनते है और अहिंसा के मार्ग की और गमन करते है
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निष्कर्ष – Samosaran in hindi
समवशरण एक हिंदी शब्द है जो अंग्रेजी में “पुनर्जन्म” या “जन्म और मृत्यु का चक्र” का अनुवाद करता है। यह भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता में निहित एक अवधारणा है, विशेष रूप से हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के क्षेत्रों में। समवसरण पिछले जन्मों में संचित कर्मों और कर्मों के आधार पर पुनर्जन्म की निरंतर प्रक्रिया और आत्मा के एक जीवन से दूसरे जीवन में जाने को संदर्भित करता है। यह मुक्ति या ज्ञान प्राप्त होने तक जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के शाश्वत चक्र में विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है।
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FAQ – Samosaran in hindi
Q.1 समवशरण का दूसरा नाम क्या है ?
“तीर्थंकर भगवान की उपदेश सभा” ही समवशरण का दूसरा नाम है |
Q.2 समवशरण की रचना कौन करता है ?
इन्द्र की आज्ञा से धनकुबेर समवशरण की रचना करता है, जब भगवान को तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति होती है तो समवसरण की रचना होती है |
Q.3 समवशरण में पहली सभा किसकी होती है
समवशरण में कुल 12 सभाएं होती हैं और इन बारह सभाओं में पहली सभा गणधर और मुनी की होती है |
Q.4 समवशरण क्या है ?
तीर्थंकर भगवान जहाँ बैठकर उपदेश देते हैं उस उपदेश सभा अर्थात धर्मसभा को समवशरण कहते है | जिस जगह पर बैठकर मनुष्य ,देव या दिव्यध्वनि को सुनकर सुख एवं शांति का अनुभव करते हैं तथा वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में जानते हैं उस जगह को समवशरण कहते है।