अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक और हिंदी अर्थ || Ahinsa parmo dharma full

Ahinsa Parmo Dharma भारतीय संस्कृति और दार्शनिक धारणा का महत्वपूर्ण सिद्धांत है | ये मनुष्य जीवन के लिए सबसे उच्च आदर्श है और उसके संपूर्ण जीवन में नैतिकता और शांति का स्रोत है | इस पोस्ट में हम अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक क्या है और उसका अर्थ क्या है के बारे में जानेंगे |

Ahinsa Parmo Dharma एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है-हिंसा ना करना | इसका अर्थ यह है की हमे किसी प्राणी के प्रति हिंसा नही करनी चाहिए, न सिर्फ शारीरिक हिंसा, बल्कि मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी दूर रहना चाहिए |

Ahinsa Parmo Dharma

इस लेख में हम आपको अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक का क्या मतलब होता है, Ahinsa parmo dharma full sloka या ahinsa parmo dharma full quote क्या है इसके बारे में चर्चा करेंगे | इस लेख को पढ़कर आप अहिंसा परमो धर्म के बारे में सबकुछ आसानी से समझ सकते है |

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अगर आप अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इस पोस्ट में अंत तक बने रहिये |

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक – Ahinsa parmo dharma full sloka

यह श्लोक हिन्दू धर्मं के किसी शास्त्र या ग्रन्थ में मौजूद नही है बल्कि महाभारत के 116वें अध्याय के एक श्लोक से बनाया गया है | अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक या Ahinsa parmo dharma full quote इस प्रकार है –

अहिंसा परमो धर्म:

धर्म हिंसा तथैव च

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक का अर्थ: जीवन में अहिंसा ही सबसे उत्तम है यानि अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म है परन्तु धर्म की रक्षा के लिए की जाने वाली धार्मिक हिंसा उससे भी बड़ा धर्म है

यह श्लोक महाभारत के जिस श्लोक से लिया गया है वह कुछ इस प्रकार से है –

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अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तप: |

अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्म: प्रवर्तते ||

श्लोक का अर्थ – जीवन में अहिंसा ही सबसे उत्तम है यानि अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म है और अहिंसा ही मनुष्य की परम तपस्या है और अहिंसा ही परम सत्य है जिसके द्वारा धर्म की प्रवृति आगे बढती है |

अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तप: |

नैव हिंसा नैव चैव, अहिंसा परमा ध्रुवम ||

श्लोक का अर्थ – अहिंसा सबसे बड़ा धर्मं है तथा धर्म और हिंसा एक ही बात है | न तो हिंसा और न ही उसका आभाव, अहिंसा ही सच्चा और स्थायी धर्म है |

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इस श्लोक को भारतीय दार्शनिक और धार्मिक परम्परा में महात्मा गाँधी द्वारा महत्वपूर्णता दी गयी है | इसका अर्थ है की अहिंसा सबसे महत्वपूर्ण धर्मं है और धर्म और हिंसा दोनों एक ही बात है | दरअसल में, धर्म वह आचार है जो हिंसा के आभाव को आत्मसात करता है और सच्चा स्थायी धर्म केवल अहिंसा ही होता है |

Ahinsa Parmo Dharma का हिंदी मतलब

अहिंसा परमो धर्मं का मतलब है की इस दुनिया में हमे सभी प्राणियों के प्रति दया, सहानुभूति और प्रेम के साथ व्यव्हार करना चाहिए यानि हमे अपने कर्मो के माध्यम से किसी को भी नुकसान पहुँचाने से बचना चाहिए और हमेशा शांतिपूर्ण, समझदार और सौम्य व्यवहार करना चाहिए |

यह धर्म सभी धर्मों और संस्कृतियों में महत्वपूर्ण सिद्धांत है और इसे अपने जीवन में अपनाना मानवता और सामरिक समाज के लिए महत्वपूर्ण है |

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अहिंसा परमो धर्म गाँधी जी से क्यों जुड़ा हुआ है

वैसे तो अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक महाभारत से लिया गया है लेकिन यह श्लोक गाँधी जी से भी जुड़ा हुआ है | इस श्लोक को देश और दुनिया में प्रसिद्धि दिलाने का काम गांधीजी ने ही किया था |

आजादी से पहले जब अंग्रेज भारत में व्यापार करने आये थे तब भारत के लोगों ने उनको यहाँ पर व्यापार करने की इजाजत दे दी थी | जैसे जैसे उनका भारत में कारोबार बढ़ने लगा वैसे वैसे उन्होंने भारत के लोगो पर अत्याचार करना शुरू कर दिया |

इस अत्याचार का विरोध करते हुए गाँधी जी ने कहा था की अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च |

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समाप्ति शब्द

इस लेख में हमने आपको अहिंसा परमो धर्मं (Ahinsa Parmo Dharma) से जुडी सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है | इस लेख में हमने Ahinsa Parmo Dharma full quote के बारे में बताया और साथ ही यह भी जाना कि अहिंसा परमो धर्म का मतलब क्या होता है?

आशा करते है इस लेख को पढ़कर आपको अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक जानने में मदद मिली | अगर आपको हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी पसंद आई है तो इसे social media पर जरुर शेयर करे और आपको इस लेख से जुडी कोई जानकारी चाहिए तो हमे कमेंट जरुर करे |

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FAQ

Q.1 अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक कहाँ से लिया गया है ?

अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक महाभारत से लिया गया है |

Q.2 Ahinsa parmo dharma full quote क्या है ?

Ahinsa parmo dharma full quote ‘अहिंसा परमो धर्मं: धर्म हिंसा तथैव च:’ होता है और यह महाभारत ग्रन्थ के एक श्लोक से बनाया गया है | जिसका मतलब होता है ‘अहिंसा ही परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए की गयी हिंसा उससे भी बड़ा धर्मं है |

Q.3 अहिंसा परमो धर्म किसने कहा था ?

जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर ने पूरी दुनिया को ‘अहिंसा परमो धर्म:’ का सन्देश दिया था |

Q.4 अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च meaning in gujarati

જીવનમાં અહિંસા સર્વશ્રેષ્ઠ છે, એટલે કે અહિંસા એ માણસનો પરમ ધર્મ છે, પરંતુ ધર્મની રક્ષા માટે કરવામાં આવતી ધાર્મિક હિંસા તેનાથી મોટો ધર્મ છે.

Q.5 अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च किस ग्रंथ के कौन से श्लोक व अध्याय से अवतरित है ?

Ahinsa Parmo Dharma महाभारत ग्रन्थ के 116वें अध्याय से लिया गया है |

Q.6 महाभारत में कुल कितने अध्याय है ?

महाभारत में कुल 18 अध्याय है |

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